Become aware of where are you investing time and energy in the outer/material world everyday. What is it that is agitating you or triggering fear or making you anxious or worried. See the clear difference between being aware of the outside world and being carried away with the outside world. Most times it is the second and it is only because of the influence the mediums have been in bringing the external world into your internal. The mediums are televisions, newspaper, gossip and the biggest one – internet. So, check out if these mediums are helping you in “being aware” or being carried away or sucked into the outer chaos. When you shift into this kind of an awareness it will be easier to note what is triggering you, for remember that anything that triggers you in the outside world in an inner reflection that needs repair. With this perspective the seeker’s attention goes towards self-work than the urge to correct the world. We can never correct the world but all our attempts are towards that. Even when we fret and fume, the world is this way or that way or people are this way or that way it is all a disappointment of what our expectations of the world are. Remember that even the whole world is projecting the same towards their outer world. It is a war of expectations with each other where each one is expecting others to change so that they can be at peace. So its important not to unmindfully get caught up in that. True that there are concerns of every individual over how life will be because every old belief and old condition or old pattern is being exposed and surfaced up by the Universe to be seen, acknowledged for how unnatural and unserving it is, and how each of it needs to be let gone. Believe in t or not, every single person out there is going through this but what is impacting the world right now is as to how each is taking this exposure and reacting to it. For example, there is an explosion of all the “exposes” happening around the globe – expose of what till now was a comfortable lie, a comfortable wrong pattern, belief or condition. It is all surfacing up and exposed for what it really is. All this is exactly the projection of the inner exposes on an individual level. Microcosm and macrocosm are connected. If you observe all out own hidden lies, beliefs, conditions and patterns are now surfacing up to be shown to us of how useless it is and the need for it to be discarded. It is purification happening. Exactly same going on outside. An unaware individual will want to dodge it or ignore it by getting triggered or projecting it to external blame and bit owing responsibility towards it, which leads to anger, frustration, etc. This is exactly what is happening in the outside world, if you can see the relation.
So, what should be the approach in the purification process is that these things are watched and observed in awareness, identified in sincerity as to which needs to be dropped and let gone. It will also show clearly of how one should change/correct/transform that quality, thus having mended that which was needed to be mended for the your purification.
So the while thing that is surfacing up can be too overwhelming if there has been too much muck but it is totally the freewill of an individual to accept it and make necessary changes or totally ignore it and suppress it back again, thus avoiding the opportunity to purify and pushing back what surfaced back in. What is suppressed will again try to express itself in many more than ways that may be too painful or distressing, so as to indirectly say that addressing it is the only option. This is exactly what is happening in the outside collective world also right now. What is surfacing up is too overwhelming. The only option given by the Universe right now to the collective is to address it by making necessary changes, but just like an individual’s preconditioned happened or refusal or reflectance to make a change, it is either lashing out or ignoring what needs to be seen and changed. This is what exactly we mean by “lessons being taught” in an individual level (microcosm) as well as collective level (macrocosm). This is what we call as the churning process, on an individual and collective level. That is why it is important of “being aware” than “being carried away”. “Shifting into awareness” helps you see all this in clarity.
Divine love and light ?
” सजग रह रहे हो या बहे जा रहे हो”
इस बात से अवगत रहें कि आप बाहरी / भौतिक दुनिया में हर रोज समय और ऊर्जा कहाँ निवेश कर रहे हैं। वह क्या है जो आपको उत्तेजित कर रहा है या भय को ट्रिगर कर रहा है या आपको चिंतित कर रहा है। बाहरी दुनिया से अवगत होने और बाहरी दुनिया के साथ बह जाने के बीच स्पष्ट अंतर देखें। ज्यादातर बार हम बाहरी दुनिया में बह जाते हैं और यह केवल इसलिए होता है क्योंकि बहारी दुनिया के माध्यम का प्रभाव हमारी आंतरिक दुनिया पर पड़ता है । माध्यम जैसे टेलीविजन, समाचार पत्र, गपशप और सबसे बड़ा एक – इंटरनेट । इसलिए, जांचें कि क्या ये माध्यम आपको “जागरूक” होने मे मदद कर रहे हैं या दुनियादारी मैं बाहर ले जा रहे हैं या आप इसके कारण बाहरी अराजकता में खो जा रहे हैं। जब आप इस तरह की जागरूकता में शिफ्ट होते हैं, तो यह नोट करना आसान होगा कि आपको क्या ट्रिगर कर रहा है, यह याद रखें कि जो कुछ भी आपको बाहरी दुनिया ट्रिगर करता है वह एक आंतरिक प्रतिबिंब है , जिसमे सुधार की आवश्यकता है। इस दृष्टिकोण के साथ साधक का ध्यान दुनिया को सही करने के आग्रह से अधिक आत्म-कार्य( खुद को सुधारने की ओर) की ओर जाता है। हम दुनिया को कभी भी सही नहीं कर सकते लेकिन हमारी सारी कोशिशें उसी की ओर हैं। जब हम झल्लाते और गुस्सा करते हैं, कि दुनिया इस तरह गलत है या उस तरह गलत है या लोग इस तरह से गलत हैं या उस तरह से गलत है यह दुनिया से हमारी पूरी नहीं होने वाली उम्मीदों की निराशा है। याद रखें कि यहां तक कि पूरी दुनिया ही उनकी बाहरी दुनिया की ओर समान भावनाएं प्रोजेक्ट( भेज) रही है। यह एक दूसरे के साथ अपेक्षाओं का एक युद्ध है जहां एक दूसरे को बदलने की उम्मीद कर रहे हैं ताकि वे शांति से रहे सकें। तो यह महत्वपूर्ण है कि हम बेहोशी(unmindfully) में इसमें ना फंस जाएं। यह सच है कि हर व्यक्ति को इस बात की चिंता है कि जीवन कैसे होगा, क्योंकि हर पुरानी विश्वास प्रणाली और स्थिति या पुराने पैटर्न को ब्रह्मांड द्वारा सामने लाया जा रहा है और उजागर या बेनकाब किया जा रहा है, यह स्वीकार किया जा रहा है कि यह कैसे अप्राकृतिक और अयोग्य है और कैसे प्रत्येक को छोड़ने की जरूरत है । मानें या न मानें, यहां पर हर एक व्यक्ति इससे गुजर रहा है लेकिन अभी दुनिया पर इसका क्या प्रभाव पड़ता है, यह किस पर निर्भर करता है कि प्रत्येक व्यक्ति कैसे इस अनावरण को कैसे ले रहा है और इस पर कैसी प्रतिक्रिया दे रहा है। उदाहरण के लिए, एक विस्फोट के साथ सभी झूठ बेनकाब हुए हैं जो दुनिया भर में हैं – जो अब तक एक सहज झूठ, एक आरामदायक गलत पैटर्न, विश्वास या स्थिति थे। यह सब सामने आ रहा है और यह वास्तव में क्या है, इसको बेनकाब किया गया है यह सब वास्तव में आंतरिक स्तर पर एक व्यक्तिगत स्तर पर जो झूठ गलत पैटर्न या विश्वास हम मानते आए हैं उनका अनावरण और प्रक्षेपण है। माइक्रोकॉसम( सूक्ष्म जगत) और मैक्रोकोसम (स्थूल जगत)जुड़े हुए हैं। यदि आप सभी छिपे हुए झूठों, विश्वासों, स्थितियों और पैटर्नो का अवलोकन करते हैं, तो अब यह सामने आ रहा है और यह दिखने लगा है कि यह कितने अनुपयोगी हैं और इन्हें त्यागने की आवश्यकता है। यह शुद्धि हो रही है। और यही शुद्धि बाहर भी हो रही है। एक अनजान व्यक्ति इसे चकमा देना चाहेगा या इसे अनदेखा करना चाहेगा या तो ट्रिगर होके या खुद जिम्मेदारी ना लेते हुए बाहरी दुनिया यह हालातों को दोष देते हुए, जिससे उसमें गुस्सा, हताशा, इत्यादि पैदा होगी, यही बाहरी दुनिया में आज हो रहा है, अगर आप दोनों में संबंध देख सके तो।
तो, क्या दृष्टिकोण होना चाहिए शुद्धिकरण की प्रक्रिया के समय इन चीजों को जागरूकता से देखा जाना चाहिए और ईमानदारी से पहचान की जानी चाहिए, कि चीजों को छोड़ देने और जाने देने की जरूरत है। यह भी स्पष्ट रूप से दिखेगा कि किसी व्यक्ति को उस गुण(quality) को सही रूप से कैसे बदलना चाहिए, जिससे वह सुधार हो जाए जिस सुधार की आपकी शुद्धि के लिए आवश्यकता है।
जो चीज़ सामने आ रही है, वह बहुत भारी हो सकती है अगर बहुत ज्यादा कूड़ा कर्कट है, लेकिन इसे स्वीकार करना और आवश्यक बदलाव करना या इसे पूरी तरह से अनदेखा कर देना और इसे फिर से वापस चेतना में भेज देना हर व्यक्ति की स्वतंत्र इच्छा पर निर्भर करता है, इस तरह शुद्ध होने के अवसर को टालना और जो बाहर आया ( कूड़ा कर्कट कर्म के रूप में) उसको वापस चेतना में भेजना सही नहीं है। जो दबा हुआ है वह फिर से कई तरीकों से खुद को अभिव्यक्त करने की कोशिश करेगा जो बहुत दर्दनाक या परेशान करने वाला हो सकता है, इसलिए अप्रत्यक्ष रूप से कहें तो इसे संबोधित करना एकमात्र विकल्प है। ठीक यही हाल बाहरी दुनिया में भी हो रहा है। जो सामने आ रहा है, वह बहुत भारी है। यूनिवर्स द्वारा अभी सामूहिक रूप से सभी को दिया गया एकमात्र विकल्प आवश्यक परिवर्तन करके इसे संबोधित करना है, लेकिन व्यक्ति अपनी पूर्वधारणायों को छोड़ना नहीं चाहता या परिवर्तन करने से इनकार करता है यह परिवर्तन की अनिच्छा जताता है, वह उसे नजरअंदाज करता है या अनदेखा कर रहा है जिसे देखने और बदलने की आवश्यकता है। व्यक्तिगत स्तर (सूक्ष्म जगत) के साथ-साथ सामूहिक स्तर (स्थूल जगत) में “सबक सिखाए जा रहे हैं” से हमारा यही अभिप्राय है। इसे हम एक व्यक्ति और सामूहिक स्तर पर मंथन प्रक्रिया के रूप में कह सकते हैं। यही कारण है कि “दुनियादारी या बाहरी दुनिया मैं बह जाने की” की तुलना में “जागरूक” होना महत्वपूर्ण है। “जागरूकता में स्थानांतरण(shifting into awareness)” आपको यह सब स्पष्टता से देखने में मदद करता है।
दिव्य प्रेम और प्रकाश
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